Add To collaction

समय की आंधी

आज दिनांक १३.९.२३ को प्रदत्त स्वैच्छिक विषय पर प्रतियोगिता वास्ते मेरी प्रस्तुति:
समय की आंधी। १२.९.२२,एक साल पहले की रच

झंझावातों ने समय की आज हमे दिन  ये दिखलाया ,
तोड़ कर लज्जा के बन्धन आंखों मे आंसू तैर आया।

याद हैं वो दिन हमको  जब शाम सुहानी होती थी,
मधुर चांदनी रातों मे हर रात  मधुर ध्वनि  गाती थी।

उषा संदेशा ले कर आती, आगमन सूर्य अब करते हैं,
नव पल्लवित दारीचों से भास्कर झांका करते  हैं।

उस सुहावने मौसम का हर‌ पल‌ मन मोहक  लगता था,
भास्कर‌ निज किरणें बिखराते दिन भी स्वर्णिम लगता था

न जाने‌ क्यों वो वक्त हमारा हमसे ऐंसा रूठ गया ,
छोड़ अधर मे प्रियतम मेरा, वो वक्त ही जाने किधर गया ।

संदेश मिला था उनका तब, कैसे भी उन्हे भुला दें हम,
वो क्या जाने बहतर होगा यदि अपनी जान गंवा दें हम।

अब हम हैं, तन्हाई है और यादें उनकी आतीं हैं ,
सांसें भी गिनी चुनी सी हैं,यादों मे कटती जाती हैं ।

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़

   7
3 Comments

बेहतरीन

Reply

Varsha_Upadhyay

13-Sep-2023 05:29 PM

Nice one

Reply

Sushi saxena

13-Sep-2023 03:19 PM

V nice

Reply